माँ

 माँ

 माँ वह है जिसके द्वारा कोई प्राणी जन्म लेता है।

माता का संस्कृत मूल मातृ है। हिन्दी में इस शब्द का प्रयोग प्रायः इष्टदेवी को संबोधित करने के लिये किये जाता है, पर सामान्यरूप से माँ शब्द का प्रयोग ज्यादा होता है।

परिभाषा

इंसानों के परिपेक्ष में माता अपने गर्भ में बच्चे को धारण करती है और भ्रूण के विकास के बाद उसे जन्म देती है।

मातृत्व दिवस[संपादित करें]

अन्तर्राष्ट्रीय मातृत्व दिवस सम्पूर्ण मातृ-शक्ति को समर्पित एक महत्वपूर्ण दिवस है, जिसे मदर्स डे, मातृ दिवस या माताओं का दिन चाहे जिस नाम से पुकारें यह दिन सबके मन में विशेष स्थान लिये हुए है। पूरी जिंदगी भी समर्पित कर दी जाए तो मां के ऋण से उऋण नहीं हुआ जा सकता है। संतान के लालन-पालन के लिए हर दुख का सामना बिना किसी शिकायत के करने वाली मां के साथ बिताये दिन सभी के मन में आजीवन सुखद व मधुर स्मृति के रूप में सुरक्षित रहते हैं। भारतीय संस्कृति में मां के प्रति लोगों में अगाध श्रद्धा रही है, लेकिन आज आधुनिक दौर में जिस तरह से मदर्स डे मनाया जा रहा है, उसका इतिहास भारत में बहुत पुराना नहीं है। इसके बावजूद दो-तीन दशक से भी कम समय में भारत में मदर्स डे काफी तेजी से लोकप्रिय हो रहा है।

पर्यायवाची

  • जननी
  • माँ
  • मातृ
  • अमा
  • ममा

माँ बनने की सही उम्र क्या है

गर्भवती होने के लिए सही उम्र 30 वर्ष से कम होती है क्योंकि 30 वर्ष के बाद महिलाओं के प्रजनन स्तर में कमी आ जाती है। जैसे-जैसे आपकी उम्र बढ़ती है, वैसे ही शरीर में अंडे का उत्पादन घटता है जिससे आप में बांझपन का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए जब आपकी उम्र 20's में है, तब वो प्रेग्नेन्सी का सही समय है. अमेरिकी सोसाइटी ऑफ रिप्रोडक्टिव मेडिसिन के मुताबिक 30 साल की उम्र के बाद हर गुजरते महीने में गर्भवती[1] होने की संभावना 20 फीसदी कम हो जाती है, भले ही एक महिला कितनी स्वस्थ क्यों न हो। और एक बार जब आप 35 की उम्र तक पहुंच जाती हैं, तो प्रेग्नेंट होने, गर्भावस्था बनाए रखने और स्वस्थ बच्चे को जन्म देने की संभावना काफी कम हो जाती है। नोवा मेडिकल सेंटर्स की स्टडी के अनुसार 31 साल या उससे अधिक की आयु की 68% महिलाओं ने फर्टिलिटी ट्रीटमेंट का विकल्प चुना जबकि लगभग 31 से 35 साल की 36% महिलाओं और 35 साल से अधिक उम्र की 32% महिलाओं ने यह विकल्प चुना।

अगर आप 35 वर्ष के बाद या ज़्यादा उम्र में माँ बनने का सोचती हैं तो आपको सी-सेक्शन ( सीजेरियन आपरेशन) कराना पड़ सकता है। इतना ही नहीं, देर से गर्भधारण में आपके बच्चे में न्यूरल ट्यूब दोष या डाउन सिंड्रोम जैसी जेनेटिक असामान्यताएं विकसित होने की संभावनाएं अधिक रहती हैं। हालांकि नियमित रूप से अल्ट्रासाउंड और एम्नियोसेन्टेसिस टेस्ट (amniocentesis - कुछ खास तरह के जन्मजात दोषो का पता लगाने की लिए टेस्ट) के साथ आप गर्भ में पल रहे बच्चे के समग्र विकास और ग्रोथ पर एक नजर रख सकते हैं।

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